मिसिर बलिराम की कुण्डलिया
मिसिर बलिराम की कुण्डलिया
थोड़ा लगता है अधिक, जब आता संतोष।
बन सन्तोषी चल सदा, बिना किये अफसोस।।
बिना किये अफसोस, चला कर बना मुसाफिर।
तुलना को दो मात, चाह मत बनना जाबिर।।
कहें मिसिर बलिराम, न चाहो सहना कोड़ा।
आसानी की चाल, बहुत सुंदर है थोड़ा।।
Muskan khan
19-Dec-2022 04:17 PM
Lajavab
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